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अरावली पहाड़ों की कटाई: भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला पर मंडराता सबसे बड़ा खतरा

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Raushanjha

Published: 2 minutes ago
अरावली पहाड़ों की अवैध कटाई से पर्यावरण और जल संकट बढ़ता हुआ
अरावली पर्वतमाला में हो रही अवैध कटाई और खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान
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भारत की पहचान केवल उसके शहरों, नदियों या संस्कृति से नहीं होती, बल्कि उसकी प्राकृतिक धरोहरों से भी होती है। अरावली पर्वतमाला, जो दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में गिनी जाती है, आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली यह पर्वतमाला आज अवैध खनन, अंधाधुंध कटाई और सरकारी लापरवाही की भेंट चढ़ती जा रही है।

अरावली पर्वतमाला क्या है और क्यों है यह इतनी खास?

अरावली पर्वतमाला लगभग 1500 किलोमीटर लंबी है और इसका निर्माण करोड़ों साल पहले हुआ था। यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है।

अरावली की खासियतें:

  • यह थार मरुस्थल को आगे बढ़ने से रोकती है
  • भूजल स्तर को संतुलित रखने में मदद करती है
  • लाखों पेड़-पौधों और वन्यजीवों का घर है
  • दिल्ली-एनसीआर की हवा को साफ रखने में अहम भूमिका

अगर अरावली नहीं होती, तो आज दिल्ली रेगिस्तान की ओर बढ़ चुकी होती

अरावली पहाड़ों की अवैध कटाई से पर्यावरण और जल संकट बढ़ता हुआ

अरावली पहाड़ों की कटाई क्यों हो रही है?

अरावली की कटाई अचानक नहीं हो रही, बल्कि इसके पीछे कई आर्थिक और राजनीतिक कारण हैं।

मुख्य कारण:

अवैध खनन (Illegal Mining)

अरावली क्षेत्र में पत्थर, ग्रेनाइट, मार्बल और बजरी की भारी मांग है। इसी लालच में रातों-रात पहाड़ों को खोखला किया जा रहा है।

रियल एस्टेट और निर्माण उद्योग

फार्महाउस, कॉलोनियाँ, सड़कें और रिसॉर्ट बनाने के लिए पहाड़ों को काटा जा रहा है।

कमजोर कानून और ढीला प्रशासन

हालांकि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने कई बार रोक लगाई है, लेकिन जमीनी स्तर पर नियमों का पालन नहीं हो रहा

स्थानीय लोगों की मजबूरी

कुछ क्षेत्रों में रोजगार की कमी के कारण लोग मजबूरी में खनन से जुड़ जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट और NGT के आदेशों की अनदेखी

भारत के सर्वोच्च न्यायालय और National Green Tribunal (NGT) ने कई बार अरावली में खनन पर सख्त आदेश दिए हैं।

लेकिन हकीकत यह है कि:

  • रात में खनन चलता है
  • ट्रकों में पत्थर भरकर चुपचाप निकाल लिया जाता है
  • स्थानीय प्रशासन अक्सर आंखें बंद कर लेता है

यह सवाल खड़ा करता है कि कानून आखिर किसके लिए है?

अरावली कटाई का पर्यावरण पर असर

अरावली की कटाई सिर्फ पहाड़ खत्म नहीं कर रही, बल्कि पूरे इकोसिस्टम को तबाह कर रही है

जल संकट

अरावली प्राकृतिक जल भंडार की तरह काम करती है। इसकी कटाई से:

  • कुएं सूख रहे हैं
  • बोरिंग की गहराई बढ़ती जा रही है
  • पानी की किल्लत गंभीर हो रही है

बढ़ता तापमान

अरावली हरियाणा और दिल्ली के लिए प्राकृतिक एयर कंडीशनर थी। अब:

  • गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है
  • हीटवेव की घटनाएं बढ़ रही हैं
  • जैव विविधता का नाश

यह क्षेत्र तेंदुआ, सियार, मोर और कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। पहाड़ कटने से:

  • जानवरों का आवास छिन रहा है
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण: अरावली की भूमिका

अरावली दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रीन वॉल की तरह थी। यह:

  • धूल भरी हवाओं को रोकती थी
  • प्रदूषण को फैलने से रोकती थी

अब पहाड़ कटने के कारण:

  • AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है
  • सांस लेना मुश्किल हो रहा है
  • बच्चों और बुजुर्गों की सेहत खतरे में है

स्थानीय लोगों की आवाज़ और जमीनी हकीकत

अरावली क्षेत्र में रहने वाले लोग आज दोहरी मार झेल रहे हैं:

  • एक तरफ रोजगार की कमी
  • दूसरी तरफ पर्यावरण का विनाश

कई ग्रामीण बताते हैं कि:

“पहाड़ कटेंगे तो काम मिलेगा, लेकिन पानी खत्म हुआ तो ज़िंदगी कैसे चलेगी?”

यह सवाल सिर्फ अरावली का नहीं, पूरे देश का सवाल है

क्या मीडिया और सरकार पर्याप्त ध्यान दे रही है?

कुछ रिपोर्ट्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ के अलावा, अरावली का मुद्दा राष्ट्रीय बहस नहीं बन पाया है

जब तक:

  • सरकार सख्ती से कानून लागू नहीं करेगी
  • मीडिया लगातार दबाव नहीं बनाएगा
  • जनता जागरूक नहीं होगी

तब तक अरावली बच पाना मुश्किल है।

समाधान क्या हो सकते हैं?

अरावली को बचाना अभी भी संभव है, अगर सही कदम उठाए जाएं।

जरूरी कदम:

  • अवैध खनन पर पूर्ण प्रतिबंध और सख्त कार्रवाई
  • बड़े पैमाने पर वनरोपण अभियान
  • स्थानीय लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार
  • ड्रोन और सैटेलाइट से निगरानी
  • स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता

आम नागरिक क्या कर सकता है?

आप सोच सकते हैं कि एक आम आदमी क्या कर सकता है, लेकिन बदलाव यहीं से शुरू होता है।

आप कर सकते हैं:

  • इस मुद्दे पर बात करें
  • सोशल मीडिया पर आवाज उठाएं
  • पर्यावरण संगठनों का समर्थन करें
  • वोट करते समय पर्यावरण को प्राथमिकता दें

निष्कर्ष: अरावली बचेगी तो भविष्य बचेगा

अरावली पहाड़ों की कटाई सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी लापरवाही की सबसे बड़ी मिसाल है।
अगर आज हमने इसे नहीं रोका, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ नहीं करेंगी।

अब समय आ गया है कि:
“विकास” के नाम पर विनाश को रोका जाए।
क्योंकि अरावली बचेगी, तभी जीवन बचेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

अरावली पहाड़ों की कटाई क्यों हो रही है?

अरावली पहाड़ों की कटाई का मुख्य कारण अवैध खनन, रियल एस्टेट परियोजनाएं और निर्माण कार्यों की बढ़ती मांग है।

अरावली पर्वतमाला भारत के लिए क्यों जरूरी है?

अरावली थार मरुस्थल को फैलने से रोकती है, भूजल स्तर बनाए रखती है और दिल्ली-एनसीआर को प्रदूषण से बचाती है।

क्या अरावली में खनन पर प्रतिबंध है?

सुप्रीम कोर्ट और NGT ने कई बार खनन पर रोक लगाई है, लेकिन जमीनी स्तर पर उल्लंघन होता रहा है।

आम नागरिक अरावली को बचाने के लिए क्या कर सकता है?

जागरूकता फैलाकर, पर्यावरण अभियानों से जुड़कर और जिम्मेदार निर्णय लेकर आम नागरिक योगदान दे सकता है।

Author

  • नमस्कार दोस्तों मेरा नाम Raushan Jha है मै एक न्यूज़ कंटेंट राइटर और डिजिटल जर्नलिज़्म रिसर्चर हूँ । मै ब्रेकिंग न्यूज़, करंट अफेयर्स, सामाजिक मुद्दों, टेक्नोलॉजी और जनहित से जुड़े विषयों पर तथ्यात्मक और संतुलित रिपोर्टिंग करता हूँ । मेरा उद्देश्य पाठकों तक सटीक, निष्पक्ष और भरोसेमंद जानकारी पहुँचाना है, ताकि लोग सही तथ्यों के आधार पर अपनी राय बना सकें।


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