बीते हफ्ते भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo एक बड़े ऑपरेशनल संकट में घिर गई। कुछ ही दिनों में इतने अधिक फ्लाइट कैंसिल हुए कि एयरपोर्ट्स पर हजारों यात्री फंस गए। वीडियो, फोटो और शिकायतें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसके बाद सरकार ने पहली बार किसी एयरलाइन पर इतनी सख्त कार्रवाई करते हुए सीधे मुख्यालय में अधिकारियों की तैनाती कर दी।
अब यह मामला सिर्फ एक एयरलाइन का नहीं, बल्कि भारतीय नागरिक उड्डयन व्यवस्था, यात्रियों के अधिकार और ऑपरेशनल पारदर्शिता का भी मुद्दा बन चुका है।
आइए पूरे विवाद को सरल भाषा में समझते हैं—किस वजह से IndiGo की उड़ानें रुकीं, क्या नुकसान हुआ, यात्रियों को क्या मुआवज़ा दिया जा रहा है और सरकार इतना नाराज़ क्यों है।
बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसिल: आखिर संकट की शुरुआत कैसे हुई?
3 से 5 दिसंबर के बीच IndiGo की बड़ी संख्या में उड़ानें अचानक रद्द हो गईं। कई उड़ानों में घंटों की देरी हुई, तो कुछ यात्रियों को बिना जानकारी दिए टर्मिनल पर ही बैठाए रखा गया।
इस अव्यवस्था की मुख्य वजहें थीं:
नई ड्यूटी और रेस्ट पॉलिसी का लागू होना
DGCA के नए नियम के तहत पायलटों के आराम के घंटों में बदलाव किया गया, और IndiGo इन बदलावों के लिए सही समय पर तैयार नहीं हो पाई।
क्रू की शॉर्टेज और गलत शेड्यूलिंग
एयरलाइन की तरफ से क्रू प्रबंधन सही तरीके से न होने के कारण कई उड़ानें उड़ाने के लिए पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं था।
अचानक बढ़ता ऑपरेशनल प्रेशर
त्योहारी सीजन और यात्रा मांग बढ़ने से IndiGo पर उड़ानों को समय पर चलाने का दबाव था, लेकिन नई स्थिति संभालना उनकी प्लानिंग से बाहर चला गया।
नतीजा — हजारों यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स पर घंटों इंतजार में फंसे रहे।
यात्रियों का गुस्सा और सोशल मीडिया पर हंगामा
इस घटना के दौरान सोशल मीडिया पर “#IndiGo” ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड करता रहा।
यात्रियों ने आरोप लगाए—
- समय पर जानकारी नहीं दी गई
- एयरपोर्ट पर पानी/खाना तक नहीं उपलब्ध
- कई यात्रियों को रीरूट भी नहीं किया गया
- बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को परेशानी
कई यात्रियों ने वीडियो पोस्ट किए, जिसमें भीड़ और भ्रम की स्थिति साफ दिखाई दे रही थी।
यह दबाव इतना बढ़ा कि सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा।
सरकार और DGCA की सख्त कार्रवाई
IndiGo विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार ने इसपर बेहद कठोर रुख अपनाया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि—
“किसी भी एयरलाइन को यात्रियों को इस तरह परेशान करने का अधिकार नहीं है। नियम तो सभी के लिए समान हैं।”
सरकार की मुख्य कार्रवाइयाँ:
- IndiGo मुख्यालय में अधिकारियों की तैनाती
पहली बार किसी भारतीय एयरलाइन के मुख्यालय में सरकार ने अधिकारी भेजे ताकि वे रोज़ाना उड़ानों की स्थिति और यात्रियों को मुआवजा मिल रहा है या नहीं—इसकी निगरानी कर सकें।
- एयरलाइन को ऑपरेशन स्थिर करने का आदेश
IndiGo को कहा गया कि जब तक पूरा सिस्टम सामान्य नहीं होता, उनकी उड़ानें पूरी क्षमता में न चलें।
- CEO और टॉप मैनेजमेंट पर कड़ी चेतावनी
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि यदि आगे ऐसी गड़बड़ी जारी रही, तो: “हम CEO और COO तक के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।” इस बयान ने साफ कर दिया कि सरकार इस मामले को हल्के में नहीं ले रही।
IndiGo की मुआवज़ा योजना: यात्रियों को क्या मिलेगा?
हजारों यात्रियों की परेशानी को देखते हुए IndiGo ने मुआवज़े की घोषणा की। यह कदम सोशल मीडिया दबाव और सरकारी निगरानी के बीच लिया गया।
₹10,000 तक का Travel Voucher
IndiGo ने बताया कि 3 से 5 दिसंबर बीच जिनकी उड़ानें रद्द या गंभीर रूप से प्रभावित हुईं, उन्हें ₹10,000 का ट्रैवल वाउचर दिया जाएगा।
- ये वाउचर 12 महीनों तक उपयोग किए जा सकेंगे
- इन्हें आप अपने, परिवार या दोस्तों के लिए टिकट बुकिंग में इस्तेमाल कर सकते हैं
- वाउचर transferable नहीं होंगे
DGCA नियमों के तहत Cash Compensation
भारत के नियमों के अनुसार:
- फ्लाइट रद्द होने पर ₹5,000 – ₹10,000 तक नकद मुआवज़ा मिल सकता है
- यह दूरी और देरी के आधार पर तय होता है
यानि यात्रियों को वाउचर + कैश, दोनों फायदे मिलने संभव हैं।
फुल रिफंड या रीरूट विकल्प
IndiGo ने कहा है कि सभी यात्रियों को फुल रिफंड या दूसरी फ्लाइट में shifting का विकल्प दिया जाएगा।
क्या IndiGo की साख पर असर पड़ा?
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन होने के बावजूद इस घटना ने IndiGo की ब्रांड छवि पर सवाल खड़े कर दिए।
कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भविष्य में इस एयरलाइन से ट्रैवल नहीं करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि—
- इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद
- इतनी संख्या में कैंसिलेशन
- और सरकारी दखल
IndiGo को अपने सिस्टम में बड़े बदलाव करने पड़ेंगे।
ऑपरेशन अब कितने स्थिर हैं?
एयरलाइन ने दावा किया है कि 8–9 दिसंबर के बाद उनका ऑपरेशन फिर से स्थिर हो रहा है।
IndiGo के मुताबिक:
- रोज़ 1,950+ उड़ानें सामान्य रूप से चल रही हैं
- क्रू शेड्यूलिंग को सुधारा गया है
- यात्रियों से माफी मांगी गई है
- मुआवज़े की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है
सवाल यह है कि क्या केवल मुआवज़ा और माफी से यात्रियों की नाराज़गी खत्म होगी?
इस विवाद ने क्या सिखाया? – यात्रियों और सिस्टम के लिए सबक
A. एयरलाइन को क्रू मैनेजमेंट और प्लानिंग सुधारनी होगी
इंडस्ट्री विशेषज्ञ कहते हैं कि इतने बड़े स्तर पर कैंसिलेशन तभी होते हैं जब अंदरूनी प्रबंधन कमजोर हो।
B. यात्रियों को अपने अधिकार जानना जरूरी
भारत में ज्यादातर लोग नहीं जानते कि—
- अगर फ्लाइट 24 घंटे के भीतर रद्द हो
- या लंबे समय तक डिले हो
तो वे मुआवज़ा लेने के हकदार हैं।
C. सरकार का मजबूत हस्तक्षेप जरूरी
इस घटना के बाद उम्मीद है कि सरकार एयरलाइंस पर कड़े मानक लागू करेगी।
निष्कर्ष: क्या IndiGo फिर से भरोसा जीत पाएगी?
IndiGo कई सालों तक समय पर उड़ान संचालन और किफायती किराए के लिए जानी जाती रही है। लेकिन हाल की गड़बड़ियों ने यात्रियों का भरोसा हिला दिया है।
हालाँकि एयरलाइन ने मुआवज़ा देकर स्थिति संभालने की कोशिश की है, लेकिन इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है—
क्या IndiGo भविष्य में ऐसी स्थिति रोकने के लिए दीर्घकालिक सुधार कर पाएगी?
अगर एयरलाइन अपनी योजना, क्रू मैनेजमेंट और ग्राहक सेवा को मजबूत बनाती है, तो वह अपना विश्वास फिर से हासिल कर सकती है।
परंतु यदि बार-बार ऐसी गड़बड़ियाँ होती रहीं, तो यात्रियों का रुख अन्य एयरलाइंस की ओर मुड़ सकता है।

















